प्रतिपदा
मनुष्य पापियों के साथ संगत करता है, धन की कमी, कुल को संताप देने वाला, ऐब करने वाला होता है|
द्वितीय
पराई स्त्री में आसक्ति, सत्य और पवित्रता से हीन, चोर और ममता से हीन होता है|
तृतीय
चैतन्य से रहित, अत्यंत विकल, द्रव्य से हीन और दूसरों से द्वेष करने वाला होता है|
चतुर्थी
भोगी और दाता, मित्रों के साथ स्नेह करने वाला, पंडित, संतान से युक्त होता है|
पंचमी
सब के साथ बनाने वाला, माता पिता की रक्षा करने वाला, गुणों को ग्रहण करने वाला, अपने शरीर से प्रसन्न रहता है|
षष्ठी
अनेक देशो में गमन करने वाला, सदा झगडा करने वाला, केवल अपना भरण पोषण के बारे में सोचता है|
सप्तमी
मनुष्य थोड़े में संतोष पाने वाला, तेज युक्त, सौभाग्यवान, गुणों से युक्त, पुत्रवान और सम्पतिवान होता है|
अष्टमी
धर्मात्मा, सच बोलने वाला, दानी, भोगी और ममतावान होता है| गुणों को जानने वाला और सब कामो के प्रति सजग रहता है|
नवमी
देवताओं का पूजक, पुत्र और धन में आसक्ति, शास्त्रों के अभ्यास करता है|
दशमी
गलत सही में फर्क करने वाला, देवताओं की सेवा करने वाला, यज्ञ करने वाला, तेजस्वी और सदा सुखी रहता है|
एकादशी
कम में संतोष करने वाला, राजाओ के घर में रहने वाला(राजसिक घर में रहने वाला), पवित्र, धनवान, पुत्रवान/पुत्री* और बुद्धिमान होता है|
द्वादशी
चपल और चंचल ज्ञान वाला होता है, कमजोर शरीर वाला और देशो में घूमने वाला होता है|
त्रयोदशी
सिद्ध पुरुष, पंडित, शास्त्रों का अभ्यास करने वाला, इन्द्रियों पर नियंत्रण रखता है और परोपकारी होता है|
चतुर्दशी
धनी, धरमात्मा, वीर,बडो के वाकयो का पालन करने वाला होता है, राजा से मान पाने वाला यशस्वी होता है|
पूर्णिमा
लक्ष्मीवान, बुद्धिमान, महत्व आकांक्षी, उत्साही और दूसरे की स्त्री में आसक्ति रखने वाला होता है|
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