Monday, April 9, 2012

विकास स्तुति


अर्चितानाममूर्त्तानाम  पितृणां दीप्ततेजसाम् |
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ||
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्त्तथा |
सप्तर्षिणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्||
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्य चन्द्रमसोस्तथा |
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ||
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वायव्यग्न्योर्नभसस्तथा |
द्यावापृथिव्योश्च तथा नमस्यामि कृतांजलिः ||
देवर्षीणां जनितृश्र्च सर्वलोकनमस्कृतान् |
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येऽहं कृतान्जलिः ||
प्रजापतेः कश्यपाय सोमाय वरुणाय च |
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृतान्जलिः ||
नमो गणेभ्यः सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु |
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ||
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्त्तिधरांस्तथा |
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ||
अग्निरुपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् |
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः||
ये तु तेजसि  ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तयः |
जगत्स्वरुपिणश्चैव तथा ब्रह्मास्वरुपिणः ||
तेभ्योऽखिलेभ्यो योगिभ्यः पितृभ्यो यतमानसः |
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुजः ||

वर्गों का उपयोग


Monday, April 2, 2012

द्रेश्कांड की उपयोगिता


मेष राशि का पहला द्रेश्कांड अशुभ होता है| मेष के पहले द्रेश्कांड में होने से जातक दानी, चोर, शान शौकत वाला, लड़ाकू,दिखने में सुन्दर, रिश्तेदारों को प्रताड़ित करने वाला होता हैं|

मेष राशि का दूसरा द्रेश्कांड (शुभ):- भिन्न स्त्रियों से सम्बन्ध, व्यर्थ में घूमने वाला, संगीत का शौकीन,कामी,बुद्धिमान, पैसे और मित्रों से घिरा रहता है| दिखने में सुन्दर और पत्नी के पैसे पर नज़र होती है|

मेष राशि का तीसरा द्रेश्कांड (मिश्रित):- जातक युद्ध विजयी, दुसरे के काम की निंदा करने वाला, सनकी, बलशाली, राजा का सेवक, अपनों से जुड़ा हुआ, सम्मानित पर कम पढ़ा लिखा होगा|
वृषभ राशि
पहला द्रेस्कांड  (मिश्रित)खाने पीने का शौकीन, जीवन साथी से वियोग, वस्त्रों और रत्नों से शोभित, पत्नी की आज्ञा मानने वाला होता है|
दूसरा द्रेश्कांड (शुभ)
सुन्दर, स्त्रिया पसंद करती है, बड़े होंठ, सुंदरता और पैसे दोनों से धनी, स्वार्थी स्त्री से जुड़ा हुआ होता है|
तीसरा द्रेश्कांड (तोयधर)
कारीगर, दुर्भाग्यवान, लड़ाकू, पैसा खर्च करके पछताने वाला, गन्दा होता है|
मिथुन
पहला द्रेस्कांड (शुभ)
चौड़े कंधे, अच्छे हाथ पैर,धनी, ऊँची सोच, धोखेबाज,लड़ाकू, सहायता करने वाला, सरकार से सम्मानित और अच्छा वक्ता होता है|
दूसरा द्रेस्कांड मिश्रित
दया का पात्र, स्वाभिमानी, सपने देखने वाला, भाई बहनों से युक्त, सनकी, बिमारियों से घिरा, सहायता करने वाला होता है|
तीसरा द्रेश्कांड (तोयधर)
स्त्रियों से शत्रुता रखने वाला, बड़े सिर वाला, शत्रु भाव रखने वाला, नाख़ून खराब होते है, धन टिकता नहीं है| अपने को सर्वोपरि मानने वाला होता है|
कर्क
प्रथम द्रेश्कांड (तोयधर)
ब्राह्मण और देवता का आदर करने वाले, सनकी, साफ़ रंग के, दूसरों को सहयोग देने वाले, बुद्धिमान, सुन्दर होते है| भाग्यवान पत्नी और खुद भी भाग्यवान होते है|
दूसरा द्रेश्कांड (अशुभ)
दया का पात्र, स्वाभिमानी, सपने देखने वाला, भाई बहनों से युक्त, सनकी, बिमारियों से घिरा, सहायता करने वाला होता है|

तीसरा द्रेस्कांड  (मिश्रित)
स्त्री से पराजित, धनी, जन्म भूमि से दूर रहता है, पीने का शौकीन, लड़ाकू, आँखों में परेशानी , बाग पसंद करते है|

सिंह
०-१० (अशुभ )
स्वतंत्र विचारों वाला, नीचे नौकार होंगे, शत्रुओ को दबाने वाला, धनी, अलग अलग स्त्रियो से सम्बन्ध, मित्र अनेक और बल शाली होगा.
द्वितीय (मिश्रित)
दूसरों की भलाई करने वाला, बात पर टिकने वाला, लड़ाई से आनंद लेने वाला, सुखी और वेदों को मानने वाला विद्वान होगा|
तृतीय (अशुभ)
दया का पात्र, दूसरों के पैसे पर नज़र, बीमारिया नही होंगी, कठोर ह्रदय का स्वामी, बुद्धिमान परन्तु पतला दुबला होगा, बच्चे अधिक होंगे|
कन्या
प्रथम ०-१०*(शुभ)
श्याम वर्ण, शुभ वक्ता, ऊँची सोच वाला, सुन्दर, कमाई के साधन में स्त्रियों का योगदान होगा| लंबा चेहरा और शहद रंग की आँखे होती है|
द्वितीय (शुभ)
स्पष्टवादी, जन्म भूमि से दूर, कलाकार, आदि वासियो के नजदीक, वैदिक ज्ञान को सम्मान देने वाला, बात घुमाने वाला, कहानियो के साथ ज्ञान देने वाला होता है|
तृतीय (शुभ)
दूसरों के पैसे और संगीत में रूचि रखते है| जिसकी चलती है उसके प्यारे होते है| ऊँचाई कम, बड़ा सिर और बड़ी बड़ी आँखें होती है|