अभियंता शब्द से आप
क्या समझते है?
अभियंता या इंजीनयर
का तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अनुभव के आधार पर
समस्या का व्यवहारिक हल बताएं सरल शब्दों में कहें तो “Anybody who uses scientific approach to solve a
problem can be called an engineer.”
उद्यमेन ही
सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथे |
न ही सुप्तस्य
सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा|
केवल मनोरथ करने से
इच्छाये पूरी नही होती उसके लिए श्रम करना आवश्यक है| सामान्यतः वैज्ञानिक अपने
ज्ञान के आधार पर नए विचार रखते है पर उन विचारों को व्यवहारिक रूप देना इंजिनियर
का कार्य है| आप जीवन में ऐसे अनेक लोगो से मिलेंगे जिनका शिक्षा का स्तर निम्न
हैं परन्तु किसी समस्या का समाधान करने में वो लोग निपुण होते है| आप गफ्फार मार्केट चले जाएँ
ऐसे बहुत अनपढ़ अशिक्षित अभियंता मिलेंगे जो कंप्यूटर, सेल फोन बड़ी ही निपुणता से
ठीक करते है| Can we say they are
engineer? उन्हें इंजिनियर कहना उन इंजीनियर के साथ अन्याय
होगा जिन्होंने काफी मेहनत कर उच्च शिक्षा प्राप्त कर इंजिनियर की डिग्री प्राप्त
की है| और कुछ ऐसे व्यक्तित्व भी है
जिन्होंने अभियांत्रिकी में ऊँची शिक्षा प्राप्त की है परन्तु उसका उपयोग करने में
या तो असमर्थ है या किन्ही कारणों से इस क्षेत्र से दूर है| इसमें कोई संदेह नही
है की एक अच्छे अभियंता के लिए शिक्षा प्राप्त करना नितांत आवश्यक है परन्तु इसके
साथ साथ कुछ नैसर्गिक गुण भी एक अच्छे अभियंता में होने चाहिए| आपने ऐसे बच्चे
देखें होंगे जिन्हें यदि खिलौना दिया जाए तो वह उस से खेलने से अधिक उसे खोलने में
रूचि लेते है| कारण .....जिज्ञासा
आइये अब एक सभ्य,शिक्षित
और सफल अभियंता के लिए ज्योतिषीय कारकों पर चर्चा करते है की किन कारणों से व्यक्ति विशेष में यह गुण आते है|
क) शनि मंगल का प्रभाव
जितने भी क्रूर ग्रह है उनका अभियंता निर्माण में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान
है| जहाँ शनि कलपुरजो और असंतोष को दर्शाता है वहीँ मंगल ऊर्जा और जिज्ञासा का
प्रतिनिधित्व करता है|
सामाजिक सोच को तोड़कर कुछ नया करने की भावना को मंगल दर्शाता है| यह दोनों गुण
यदि जातक में हो तो एक नैसर्गिक अभियंता के कारकत्व जातक में होते है| हमने यहाँ
जिन कुण्डलियो पर शोध किया है उन कुंडलियों में शनि मंगल का लग्न/लग्नेश या पंचम
पंचमेश पर प्रभाव की जांच की है|
ख) बली पंचम और पंचमेश जब ज्योतिष पढ़ना आरम्भ किया था तो ज्ञान
कम होने के कारण एक दुविधा थी| किसी भाव भावेश पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव भाव
सम्बंधित कारकों की हानि करता है दूसरी ओर अभियांत्रिकी के लिए क्रूर ग्रहों का
पंचम पंचमेश पर प्रभाव आवश्यक है| यह दोनों नियम एक दूसरे के विपरीत फल बता रहे
थे| अब दोनो में अंतर समझ आता है यदि पंचमेश और पंचम भाव बली हो और तब इन पर शनि
मंगल का प्रभाव हो तो यह योग अभियांत्रिकी के लिए शुभ है अन्यथा यह विद्या अध्ययन
में बाधाओ, रूकावट को दर्शाता है|
ग) अनुकूल दशा
दशा दिशा निर्धारित करती है| आप अपनी कुंडली में कितने शुभ योगो के साथ
उत्पन्न हुए हो परन्तु यदि दशा क्रम सही न मिला तो योगो के फल क्षीण हो जाते है|
आप सब ने कई बार देखा होगा की एक साधारण कुंडली के साथ उत्पन्न हुआ जातक श्रेष्ठ
स्थान पर होता है और दूसरी ओर असाधारण शुभ योग लिया जातक निम्न स्थान पर होता है
इसका कारण हैं दशा |यहाँ लिए गए उदाहरण कुण्डलियो में हम देखेंगे की 15-21वर्ष की आयु के मध्य जातक
को क्या दशा मिली और दशानाथ पर क्या प्रभाव थे जिनके कारण जातक अभियात्रिकी शिक्षा
के प्रति उन्मुख हुआ|
घ) अभियांत्रिकी की विभिन्न शाखाएँ
अभियांत्रिकी की आज के समय में सैंकडो शाखाएं है उनमे जो प्रमुख या प्रचलित
शाखाएँ है उस पर विचार करते है| अभियांत्रिक शाखा में भी और विभाजन होते है वह
सूक्ष्म से सूक्ष्मतर हो रही है उदहारण के लिए यदि हम यांत्रिकी अभियांत्रिकी (Mechanical engineering) की बात करे तो पायेंगे की उस में वाहन अभियांत्रिकी (Auto mobile engineering) एवं ताप अभियांत्रिकी (Thermal
engineering) जैसी शाखाएँ हैं| ऐसी
स्थिति में हमे यह सोचना चाहिए की विचारणीय शाखा का सम्बन्ध किस ग्रह से हो सकता
है| जैसे
IT/Computer Engineering :- Shukr
– Rahu
Civil Engineering :- Shani (Land and Tools)
Mechanical Engineering :- Mars
(Energy) and Saturn
Bio Molecular Engineering :- Sun
(Life) and Mercury(Plants)
Textile Engineering :- Venus and Mercury
Textile Engineering :- Venus and Mercury
उदाहरण कुंडलियों में कारक ग्रह के बलाबल पर विचार करेंगे|
ङ) अभियांत्रिकी शिक्षा के रूप में परन्तु व्यावसायिक रूप से
नही
कई जातक अभियांत्रिकी शिक्षा के रूप में तो पढते है परन्तु उसका उपयोग आजीविका
के लिए नही कर पाते| भारतीय क्रिकेटर जवागल श्रीनाथ और अनिल कुंबले कुछ ऐसे नाम है
जो उपरोक्त वचन पर खरे उतरते है| दशम भाव-एकादश भाव ऐसे भाव है जो आपकी आजीविका निर्धारित
करते है, हमने सभी उदाहरण कुंडलियों में यह देखने का प्रयास किया की मंगल शनि और
शाखा कारक ग्रह का सम्बन्ध दशम-एकादश और दशमांश लग्न और दशम से बन रहा है या नही|
च) नक्षत्रो से सम्बन्ध
मंगल और शनि के नक्षत्र का प्रभाव जातक में अभियंता के नैसर्गिक गुणों को
प्रदर्शित करता है| विशेषतः चित्रा नक्षत्र क्योंकि इस नक्षत्र के देव विश्वकर्मा
है जो कि निर्माण को दर्शाते है|
छ) धातु मूल जीव राशि और नवांश :- अभियंता के कार्य क्षेत्र
में मशीन का प्रयोग सामान्यतः अनिवार्य है ऐसे में हमने यह खोजने की कोशिश कि
की इसमें धातु मूल जीव राशियो और नवांश की
उपयोगिता किस प्रकार है|
उदाहरण कुंडली
उपरोक्त कुंडली में
·
लग्नेश की मंगल से युति है
और लग्न पर शनि का प्रभाव है| चन्द्र कुंडली से लग्न में शनि और चन्द्र लग्नेश बुध
से मंगल की युति है|
·
पंचमेश केन्द में वर्गोत्तम
है| चन्द्र कुंडली से पंचमेश पंचम में ही स्थित है|
पंचम भाव पर शनि का दृष्टि
और चन्द्र कुंडली से पंचम भाव में मंगल और चन्द्र पंचमेश मंगल के साथ है|
·
दशा :- जातक की 15-21वर्ष की आयु में राहू और
बृहस्पति की दशा थी| राहू स्वयं तकनीकी ग्रह है और बृहस्पति शनि की राशि और नवांश
में स्थित होकर लग्न और लग्नेश से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा है|
·
जातक यांत्रिक अभियंता के
रूप में टाटा की टाईमेक्स में कार्यरत है| शाखा कारक मंगल जन्म कुंडली में एकादशेश
और कर्मेश से युति कर रहा है| दशमांश कुंडली
में मंगल लग्नेश हो उच्च है और दशम भाव से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा है|
जातक की कुंडली में अधिकतर ग्रह धातु राशि में है|
उदाहरण कुंडली २
11-06-1975. 06:06 hrs, करनाल, हरियाणा
·
लग्न में शनि और लग्न मंगल
से दृष्ट है, चन्द्र कुंडली से भी यही स्थिति है| बृहस्पति मंगल से युत हो शुक्र
से दृष्टि सम्बन्ध बना रहा है| मंगल पंचम भाव पर भी दृष्टि दे रहा है|
·
पंचमेश सौम्य राशि और
स्वनवांश में है और गुरु से दृष्ट है|
·
दशा :- विद्या अध्ययन के
समय गुरु की दशा रही| बृहस्पति स्वराशि कुम्भनवांश में स्थित है और मंगल शनि दोनों
के प्रभाव में है|
·
जातक यांत्रिक अभियंता के
रूप में लन्दन इंग्लैंड में कार्यरत है| मंगल दशम भाव में दशमेश के साथ और शनि की
दृष्टि दशम भाव और दशमेश दोनों को प्रभावित कर रही है अतः जातक ने अभियंता के रूप
में आजिविकोपार्जन कर रहा है| दशमांश कुंडली में भी मंगल स्वयं दशमेश हो चन्द्र से
दशम भाव में स्थित है| शनि दशमांश में अष्टम भाव से दशम भाव पर दृष्टि दे रहा है|
·
जातक का लग्न, सूर्य और
लग्नेश तीनो मंगल के नक्षत्र में है|
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