जन्म कुंडली, होरा, द्रेश्कान, सप्तांश, नवांश, द्वादांश और त्रिम्शांश को सप्तवर्ग कहकर संबोधित करते हैं|
जब ग्रह के बलाबल का विचार होता हैं तो इन वर्गों में उसकी स्थिति पर भी विचार करना चाहिए|
पंडित सुरेश चंद्र मिश्र जी के अनुसार यदि ग्रह इन वर्गों में बली हो तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उच्च कोटि की होती हैं| ग्रह यदि दो वर्गों में स्वराशि, उच्च राशि या मूल त्रिकोण का हो तो ग्रह को किंशुक संज्ञा दी जाती हैं| तीन वर्गों में व्यंजन, चार में चामर, पांच में छत्र, छ में कुंडल और सातो वर्ग में बली हो तो मुकुट संज्ञा दी जाती हैं| यदि सप्तवर्गों में ग्रह दो-तीन वर्गों में स्वराशि/मूल त्रिकोण/उच्च हो जाए तो उसे १ अंक दे अन्यथा शून्य दें, ग्रह यदि तीन वर्गों या उससे अधिक वर्गों में बली हो तो २ अंक दें| इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक १४ अंक प्राप्त हो सकते हैं| जिस ग्रह के पास बिंदु बल हो, उस दशा में जातक को उत्कृष्ट फल मिलते हैं|
उदाहरण कुंडली संख्या १
जन्म तिथि २२ सितम्बर १९८३, जन्म समय १६:३५ जन्म स्थान :- दिल्ली
ग्रह ↓ वर्ग→ राशि होरा द्रेस्कोन सप्तांश नवांश द्वादांश त्रिन्शांश संज्ञा
सूर्य 6 4 6 1 11 8 6
चन्द्र 12 4 12 7 6 2 6 किंशुक 1
मंगल 5 5 5 5 1 5 1 किंशुक 1
बुध 5 4 1 10 7 2 3 किंशुक 1
गुरु 8 4 12 4 7 12 6 व्यंजन 1
शुक्र 5 5 5 5 1 5 1
शनि 7 5 7 9 9 10 11 चामर २
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