जन्म कुंडली विवेचना के समय हम सीधे लग्न कुंडली की ओर रुख करते हैं, और पंचांग के महत्व को भूल जाते है | तिथि योग करण नक्षत्र और वार पर ध्यान देना उतना ही आवश्यक हैं जितना की बीज बोने से पहले स्थान की मिटटी और मौसम को देखना| यहाँ योग के फल उनके नामानुसार देखने चाहिए, विभिन्न योगो के सरल हिंदी अनुवाद निम्नलिखित है :-
1) सिद्ध :- दक्ष, कार्य पूर्ण होने की स्थिति
2) साध्य ;- कार्य पूर्ण करना
3) शुभ :- मंगलकारी, भाग्यशाली
4) प्रीति ;- प्रेम करने योग्य
5) आयुष्मान :- दीर्घायु
6) सौभाग्य :- मंगलकारी
7) शोभन : सुन्दर गुणवान
8) अतिगंड :- बार बार रुकावटें, बहुत सी गांठे
9) सुकर्म :- अच्छे कार्य करने वाला
10) धृति :- स्थिर, जमा होना, पकड़ना
11) शूल :- काँटा, लोहे की सुई
12) गंड :- गाँठ, रूकावट
13) वृद्धि ;- आगे बढ़ना
14) ध्रुव योग :- स्थिर, स्थाई
15) व्याघात :- हत्या करना, मारना
16) हर्षण :- प्रसन्न रहने वाला
17) वज्र :- कठोर, बिजली गिरना
18) व्यतिपात :- तबाही, संकट
19) वरीयान :- बड़ा, उत्तम
20) परिघ :- महल का द्वार, लोहे की कुण्डी
21) शिव :- सत्य
22) शुक्ल योग :- पवित्र, स्वच्छ |
23) ब्रह्मा :- दैवीय स्त्रोत
24) इन्द्र : देवो का राजा
25) वैधृति योग ; बंदी बनाना, पकड़ना
26) सिद्धि :- कार्य पूर्ण होना, सफलता,
27) विष्कुम्भ :- विष का कुम्भ (घड़ा)
1) सिद्ध :- दक्ष, कार्य पूर्ण होने की स्थिति
2) साध्य ;- कार्य पूर्ण करना
3) शुभ :- मंगलकारी, भाग्यशाली
4) प्रीति ;- प्रेम करने योग्य
5) आयुष्मान :- दीर्घायु
6) सौभाग्य :- मंगलकारी
7) शोभन : सुन्दर गुणवान
8) अतिगंड :- बार बार रुकावटें, बहुत सी गांठे
9) सुकर्म :- अच्छे कार्य करने वाला
10) धृति :- स्थिर, जमा होना, पकड़ना
11) शूल :- काँटा, लोहे की सुई
12) गंड :- गाँठ, रूकावट
13) वृद्धि ;- आगे बढ़ना
14) ध्रुव योग :- स्थिर, स्थाई
15) व्याघात :- हत्या करना, मारना
16) हर्षण :- प्रसन्न रहने वाला
17) वज्र :- कठोर, बिजली गिरना
18) व्यतिपात :- तबाही, संकट
19) वरीयान :- बड़ा, उत्तम
20) परिघ :- महल का द्वार, लोहे की कुण्डी
21) शिव :- सत्य
22) शुक्ल योग :- पवित्र, स्वच्छ |
23) ब्रह्मा :- दैवीय स्त्रोत
24) इन्द्र : देवो का राजा
25) वैधृति योग ; बंदी बनाना, पकड़ना
26) सिद्धि :- कार्य पूर्ण होना, सफलता,
27) विष्कुम्भ :- विष का कुम्भ (घड़ा)
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