Tuesday, December 14, 2010

राज योग के फल न्यून या अधिक ?


राज योग
राज योग से अभिप्राय ऐसे जीवन का हैं जिसमे आर्थिक रूप से न्यूनता न हो. जातक राज योगो का फल तब भोगता हैं जब राज योग बनाने वाले ग्रहों की दशा-अंतर्दशा हो. उस समय यदि गोचर भी सहायक हो तो फल निश्चित रूप से राजयोग कारक होता हैं. राजयोग पर विचार उनकी संख्या और बल से करना चाहिए.

१)        यदि २रे भाव का स्वामी एकादश भाव में हो और एकादश का स्वामी द्वितीय भाव में
२)      यदि पंचम का स्वामी और नवम का स्वामी की युति हो.
३)      यदि चौथे का स्वामी पंचम में और पंचम का स्वामी चौथे में हो.
४)      यदि चौथे के स्वामी का नवमेश से सम्बन्ध हो.
५)      यदि केतु केन्द्र/त्रिकोण में हो और उसकी युति केन्द्र त्रिकोण के स्वामी से हो.
६)       यदि राहू केन्द्र/त्रिकोण में हो और उसकी युति केन्द्र त्रिकोण के स्वामी से हो.
७)      दशमेश उच्च या स्वराशि का हो और दशमेश की लग्न पर दृष्टि हो.
८)      लग्न में शुक्र हो और उसका सम्बन्ध गुरु या चन्द्र से हो.
९)       गुरु नवम में स्वराशि का हो और शुक्र/पंचमेश की गुरु से युति हो.
१०)    ३-६-८-११वे भाव में नीच ग्रह हो और लग्नेश उच्च/स्वराशि का हो.
११)     सभी शुभ ग्रह केन्द्र में हो और क्रूर ग्रह त्रिषडाय भावो में हो.
१२)    त्रिकोण के स्वामियों की युति केन्द्र में हो.
१३)    पंचमेश और सप्तमेश का सम्बन्ध केन्द्र में हो.
१४)    पंचमेश का दशमेश से सम्बन्ध हो.
१५)   दशमेश नवमेश का परस्पर सम्बन्ध हो.
१६)    पूर्ण चन्द्र को उच्च और स्वक्षेत्री ग्रह देखता हो.
ज्योतिषीय किताबो में राज योगो की भरमार हैं. कोई न कोई राज योग प्रत्येक कुंडली में मिल जायेंगे. परन्तु इसका अर्थ यह नहीं की प्रत्येक व्यक्ति राज योग को भोगेगा. राज योगो को विभिन्न कसौटियो पर विचार कर ही फल कहना चाहिए. निम्न परिस्थितयो में राज योग के फल क्षीण हो जाते हैं. और परिणाम राज योगकारक नहीं होते.
१.        यदि राज योग निर्माण करने वाले ग्रह में एक क्षीण हो .
२.      यदि ग्रह युति ६-०८-१२ में हो.
३.      यदि ग्रह युति भाव संधि या राशि संधि पर हो.
४.      कुंडली में युति हो परन्तु नवांश में ग्रह निर्बल हो.
५.      यदि दोनों ग्रह दुभाव के स्वामी भी हो.
६.       युति पर पाप प्रभाव हो.
ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से ग्रह राज योग के फल देने में अक्षम हो जायेंगे. इन सभी कारकों का विचार कर हमे राज योग का फल देखना चाहिए. और यदि लग्न लग्नेश बलवान हो तो राज योग के फल में वृद्धि हो जाती हैं.
 
कुंडली में लग्नेश की युति धनेश और एकादशेश से हैं जो की राज योग हैं इस योग में योगकारक मंगल का जुडना राज योग को और प्रबल कर रहा हैं. पंचमेश गुरु और दशमेश शुक्र का भी प्रभाव हैं.
जातक का जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहाँ पिता एक सरकारी अस्पताल में चिकित्सक और माता एक विद्यालय की प्रधानाचार्य, बाल्यावस्था से ही आर्थिक स्थिति मजबूत थी. अभी जातक टाटा उद्योग में एक इंजिनियर के पद पर कार्य रत हैं.

1 comment:

New said...

Pranam guruji
mera rajyog kab banega maera name.nitin yedake
birth date-27:3;1992
day-monday,time-12.30pm