भू मध्य रेखा :- भू मध्य रेखा वह काल्पनिक रेखा है जो पृथ्वी को मध्य से
दो भागो में विभाजित करती है, और उसके दोनों भागो में एक एक ध्रुव होता है| ऊपरी
भाग में उत्तरी गोलार्ध और निचले भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहा जाता है|
अक्षांश
पृथ्वी पर किसी
स्थान की स्थिति ज्ञात करने के लिए हमे दों मान की आवश्यकता होती है जिन्हें
नियामक (रेखांश और अक्षांश) कहते है| भू मध्य रेखा के समानांतर ऊपर और नीचे दोनों
ओर काल्पनिक वृत जिन्हें अक्षांश कहते है | जो स्थान भूमध्य रेखा के उत्तर में है
उनके अक्षांश 0* से 90* उ के मध्य होंगे|
देशांतर
किसी स्थान की
मध्यान्ह रेखा और प्रधान मध्यान्ह रेखा के बीच भूमध्य रेखा पर जो चाप बने, उस चाप
का कोण देशांतर होता है| यह 0 से 180* पूर्व तक और इसी प्रकार पश्चिम तक हो सकता है|
कर्क रेखा
यह उत्तरी गोलार्ध
में विषुवत रेखा के सामानांतर 23* 27’ पर काल्पनिक रेखा है| यहाँ 21 जून के लगभग मध्यान्ह में
सूर्य सीधा सिर पर होता है| पृथ्वी के धरातल
पर इस रेखा को कर्क रेखा कहते है| जब इस रेखा पर सूर्य सीधा सिर पर चमकता
है तब सूर्य सायन कर्क राशि में प्रवेश करता है|
मकर रेखा
यह दक्षिणी गोलार्ध
में विषुवत रेखा के सामानांतर 23* 27’ पर काल्पनिक रेखा है| यहाँ 23 दिसंबर के लगभग मध्यान्ह में
सूर्य सीधा सिर पर होता है| पृथ्वी के धरातल
पर इस रेखा को कर्क रेखा कहते है| जब इस रेखा पर सूर्य सीधा सिर पर चमकता
है तब सूर्य सायन कर्क राशि में प्रवेश करता है|
प्रधान मध्यान्ह रेखा
ग्रीनविच वेधशाला,
जो लन्दन में है, से गुजरने वाली मध्यान्ह रेखा को प्रधान मध्यान्ह रेखा अर्थात
शून्य देशांतर वाली रेखा मानते है|
मानक मध्यान्ह रेखा या
मुख्य मध्यान्ह रेखा
प्रत्येक देश का
फैलाव उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम होता है| ऐसे में जो क्षेत्र पूर्व में
हो वहां सूर्य उदय और मध्यान्ह शीघ्र होंगे बजाय उनके जो पश्चिम में होंगे| इससे
समस्या यह आती है की पूर्व वाला समय कुछ बताएगा, और पश्चिम वाला कुछ और| इस का हल
निकाला गया की एक देश और अधिक विस्तार वाले देशो को क्षेत्रो में बाँटकर, एक
क्षेत्र की एक मुख्य मध्यान्ह रेखा हो, और उस स्थान का स्थानीय समय उस सारे देश या
क्षेत्र के लिए मान्य हो|
आकाशीय गोल
पृथ्वी को यदि अनंत
आकाश में फैला दिया जाए तो जो गोल आकृति बनेगी उसे आकाशीय गोल कहते है|
आकाशीय ध्रुव
पृथ्वी को अनंत आकाश
में फैलाने पर जहाँ पृथ्वी के ध्रुव आकाशीय गोले में मिले वह आकाशीय उत्तरीय और
दक्षिणी ध्रुव कहलाते है|
विषुवत वृत
पृथ्वी की भूमध्य
रेखा को आकाशीय गोल में फैलाने पर जो वृत बनेगा उसे विषुवत वृत कहते है |